[ad_1]
पटना: जातीय गणना (Bihar Caste Survey) के आंकड़े जारी होने के बाद मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में नौ दलों को बुलाया गया था. मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सीएम सचिवालय में बैठक हुई. बैठक में जाति आधारित गणना के आंकड़ो पर चर्चा हुई है. वहीं, बीजेपी (BJP) के नेता और ‘हम’ संयोजक जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने मौजूदा जाति आधारित गणना में कई खामियों को सरकार के सामने रखा, जिस पर मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लेते हुए सम्बंधित अधिकारी को उसे दूर करने की बात कही.
नौ पार्टीयों के नेता बैठक में हुए शामिल
बैठक में सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़े नहीं रखी गई है, जिसका बीजेपी ने विरोध किया है. मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है की सामाजिक और आर्थिक सर्वेक्षण के आंकड़ों को विधानसभा में सत्र के दौरान रखा जाएगा. बीजेपी की तरफ से नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा और हरि सहनी शामिल हुए. वहीं, महागठबंधन की तरफ से छह और एनडीए की तरफ से दो और एक एआईएमआईएम के नेता बैठक में शामिल हुए. नौ पार्टीयों के नेता बैठक में शामिल हुए.
एक ही जाति को कई वर्गों में बांट दिया गया है- हरि सहनी
विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष हरि सहनी ने इस जातीय गणना की रिपोर्ट को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिस तरह कोई परीक्षा में एवरेज मार्किंग किया जाता है, उसी तरह ही इसमें किया गया है. किसी को घटा कर किसी को बढ़ा दिया गया, इससे स्थिति यह हो गई कि कहीं खुशी तो कहीं गम की स्थिति है. एक ही जाति को कई वर्गों में बांट दिया गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं.
ये भी पढ़ें: Bihar Caste Survey Report; जानिए बिहार में कितनी आबादी है जो किसी भी धर्म को नहीं मानती, चौंका सकते हैं आंकड़े
[ad_2]
Source link