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गया में पिंडदान करती यूक्रेन की युवती।
– फोटो : अमर उजाला
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गया में यूक्रेन की एक युवती को पिंडदान करते देख पंडे भी चकित थे और यहां आए बाकी लोग भी। क्या विदेशों में भी गयाजी का इतना नाम है? क्या पिंडदान का इतना महत्व है? ऐसे सवालों के साथ ‘अमर उजाला’ रिपोर्टर ने जब यूक्रेन निवासी उलिया ज़िटोमरस स्काई से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने समझाया कि उनके माता-पिता की मौत रूस-यूक्रेन युद्ध में हो गई थी। वह पिंडदान करने इसलिए आयीं ताकि इस युद्ध में शहीद हुए यूक्रेन के जवानों और आम लोगों के साथ रूस के मृतकों की आत्मां को शांति दिला सकें। उलिया ने विश्व शांति में हिंदू धर्म की मान्यताओं के योगदान पर भी बात की।
आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया
उलिया ज़िटोमरस स्काई ने बताया कि वह अपने पितरों के साथ-साथ रुस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए लोगों की आत्मा की शांति के लिए गया जी धाम आई है। दोनों देश के बीच युद्ध के दौरान हजारों लोगों की मौत हुई। उसके देश की हालत बहुत खराब है। रुस-यूक्रेन का युद्ध अभी भी जारी है। युद्ध में लोग मारे जा रहे है। उनकी आत्मा की शांति के लिए गया जी धाम के फल्गुनदी के तट पर विधि विधान के साथ स्थित देवघाट में पिंडदान और तर्पण का कर्मकांड किया।
युद्ध खत्म होने और शांति स्थापित के लिए प्रार्थना की
पिंडदान व तर्पण करने के बाद उलिया ज़िटोमरस स्काई ने बताया कि हम प्रार्थना करते है कि युद्ध समाप्त हो और दोनों देशों में शांति स्थापित हो। उन्होंने बताया कि युद्ध के दौरान रुस के हमले में उसके माता-पिता समेत परिवार के कई सदस्य मारे गए। यूक्रेन के लोगों के अलावे रुस देश में भी मारे गए लोगों के आत्मा की शांति के लिए गयाधाम में पिंडदान किया। विश्व में कहीं मोक्ष भूमि है तो वह गयाजी है। मैं दूसरी बार गयाजी में पिंडदान कर रही हूं। पहली बार आई थी तो शांति महसूस हुआ। अब दूसरी बार युद्ध में मारे गए अपने माता-पिता व अन्य परिवार जनों के आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया है।
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