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सत्ता का संग्राम
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


मध्यप्रदेश में चुनावी बिसात बिछ चुकी है। कांग्रेस ने प्रदेश की 230 तो भाजपा ने 228 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। आगामी 17 नवबंर को प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होगा। चुनाव से पहले अमर उजाला का चुनावी रथ ‘सत्ता का संग्राम’ प्रदेशभर के मतदाताओं का मन टटोलने निकला है। आज हमारा कारवां नरसिंहपुर की महिलाओं के बीच पहुंचा, जहां महिलाओं से चर्चा कर उनके मुद्दे जानने की कोशिश की गई। 

 नरसिंहपुर में महिलाओं और बेटियों की रोजमर्रा की समस्याओं पर चर्चा करने अमर उजाला का रथ नरसिंहपुर के कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचा। यहां एक ‘दीदी कैफे’ मिला। इस कैफे को चलाने वाली महिलाएं यहां काम करने वाले लोगों को स्वादिष्ट खाना खिलाती हैं। ये महिलाएं अपने घर को भी संभालती हैं और बाहर से आने वाले लोगों की भूख का ध्यान रखती हैं। इस कैफे की इन दीदियों से ही नरसिंहपुर में महिलाओं और बेटियों की उन समस्याओं पर चर्चा की गई, जिनमें थोड़े से सुधार से ही चीजें काफी हद तक आसान हो सकती हैं। 

हर पंचायत में एक भवन समूह बैठक के लिए होना चाहिए

लक्ष्मी सहायता समूह की अध्यक्ष सुषमा रेकवार से सवाल किया गया कि नरसिंहपुर में महिलाओं से जुड़ी ऐसी क्या समस्या है जिस पर बात होनी चाहिए और सुधार होना चाहिए? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि हम महिलाओं के लिए बैठक और चर्चा करने के लिए उचित स्थान होना चाहिए, जहां हम अपनी बात खुलकर रख सकें। हर पंचायत में एक भवन समूह बैठक के लिए होना चाहिए। महिलाओं को और भी समस्याओं को ध्यान में रखना चाहिए। शौचालय आदि का भी प्रबंध होना चाहिए।

समूह बनने के बाद उन्नति हुई

ग्राम डोंगर गांव की रहने वाली दीदी हुसैन ने बताया कि वो तीन संगठनों की सचिव हैं। उनसे भी महिलाओं की समस्या के संबंध में जब बात की गई तो उन्होंने कहा कि समूह की जो दीदी हैं वो बहुत गरीब हैं। साहूकार से पैसे लेकर काम चलाती थीं। समूह बनने के बाद उन्नति हुई। दीदी लोगों की मदद मिलने लगी उनकी जरूरतें समूह के लोग मिलकर पूरी करने लगे। जो महिलाएं घर से बाहन नहीं निकलती थी वो अब बाहर निकलने लगीं। बैंक जाने लगीं। अपना खुद का काम करने लगीं। अब तो खुद पर निर्भर होने लगी हैं।  

महिलाएं खुद ताकतवर बन रही हैं

सिपा सहायता समूह की अध्यक्ष और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की बैंक सखी जरीन नवान ने पूछा गया कि महिलाओं और बेटियों की ऐसी कौन सी दिक्कत है जिसमें सुधार कर लिया जाए तो चीजें बहुत आसान हो सकती हैं? आज आजीविका मिशन से हर दीदी को बहुत मदद मिली है। आज दीदी आजीविका मिशन से जुड़कर अपनी जरूरतें भी पूरी करती हैं और अपने लिए बचत भी करने का प्रयास करती हैं। पहले दीदियां मोहताज रहती थीं, बच्चा बीमार हो गया या घर में और कोई परेशानी आ गई तो दीदियों को बहुत परेशानी होती थी, लेकिन आज आजीविका मिशन से जुड़ने के बाद सभी महिलाएं सक्षम हैं। अब महिलाएं खुद ताकतवर बन रही हैं। हम नहीं कमा सकते ये बहाना लेकर महिलाएं अब बैठीं नहीं हैं।

पहले पति से मांगने पड़ते थे पैसे

विनायक स्वयंसहायता समूह और ग्राम संगठन की सचिव कमला विश्वकर्मा से सवाल किया गया कि महिलाओं के लिए सरकार ऐसी कौन सी मदद कर दे कि महिलाओं और बेटियों की जिंदगी और आसान हो सके? पहले तो समूह से जुड़ने में भी महिलाओं को डर लगता था। पैसा लेने में भी डरती थीं कि कर्ज हो जाएगा, लेकिन समूह के प्रयास से अब जागरूकता आई है। अब बेछिछक महिलाएं समूह से जुड़ रहीं हैं। घर से निकल रही हैं और खुद का आत्मनिर्भर बना रहीं हैं। हर गांव से दीदियां नरसिंहपुर समूह से जुड़ने लगी हैं। अब अपने बैंक के काम भी खुद ही निपटा लेती हैं। हमारे सिलाई सेंटर में 30 से 40 महिलाएं एक साथ बैठकर काम करती हैं। पहले समस्या थी कि पति से पैसे मांगने पड़ते थे और अब महिलाएं अपना खर्चा खुद निकाल लेती हैं।

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Umesh Solanki

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