Spread the love

[ad_1]

Bihar Reservation: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार (9 नवंबर) को विधानसभा में हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी भड़क उठे और कहा कि यह मेरी बेवकूफी थी कि मैंने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था. इन्हें कोई सेंस नहीं है. वह ऐसे ही बेमतलब बोलते रहते हैं.

हैरान करने वाली बात यह रही कि विधानसभा में बगल में बैठे तेजस्वी यादव ने उन्हें रोकने की कोशिश नहीं की. ऐसे में नीतीश कुमार के बर्ताव को लेकर बिहार की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है. सभी दल राज्य में दलित वोटरों को को साधने में जुट गए हैं. वहीं, जीतन राम मांझी भी दलित समाज से आते हैं. बीजेपी भी दलितों के मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार को घेर रही है. मांझी के साथ किए गए दुर्व्यवहार को बीजेपी दलितों का अपमान बता रही है.


मुख्यमंत्री नीतीश हम के मुखिया मांझी से इतने खफा थे कि उन्होंने उनकी उम्र तक का लिहाज नहीं किया. मांझी, नीतीश कुमार से 7 साल बड़े हैं. वहीं, राजनीति में भी मांझी के एंट्री उनसे पहले हुई थी. नीतीश कुमार 1985 में पहली बार विधायक बने थे, जबकि  मांझी 1980 में ही विधायक बन चुके थे.

हाल ही में बिहार सरकार ने जो जातिगत सर्वे कराया था, उसमें दलित समाज की आबादी ढाई करोड़ से ज्यादा है, जो कुल आबादी की 19 फीसदी से ज्यादा है. इसी रिपोर्ट के बाद नीतीश सरकार ने शेड्यूल कास्ट का आरक्षण 16 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी करने का फैसला किया और इसको लेकर विधानसभा में एक बिल किया, जो सर्वसम्मति पास हो गया.

सीएम की छवि पर पड़ सकता प्रभाव
आरक्षण की सीमा बढ़ाने के नाम पर नीतीश कुमार ने दलित समाज को लुभाने के लिए भले ही चाल चल दी, लेकिन उनका रवैया ऐसा ही रहा तो दलित समाज के वोटर के बीच उनकी छवि पर असर पड़ सकता है.

इस बीच हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के अध्यक्ष मांझी ने कहा, “मैं दलित हूं. इसी वजह से नीतीश कुमार ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया था, लेकिन जब मैं बेहतर काम करना लगा, तो पद से हटा दिया.” नीतीश कुमार ने 2014 लोकसभा चुनाव के बाद जब सीएम पद छोड़ा था, तो उन्होंने जीतन राम मांझी को सीएम बनाया था.

नीतीश कुमार ने जनसंख्या नियंत्रण पर दिया था विवादित बयान
इससे पहले जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी नीतीश कुमार ने विवादित बयान दिया था. उनके बयान की महिला आयोग और बीजेपी ने कड़ी आलोचना की थी. हालांकि, उन्होंने अपने बयान को लेकर माफी मांग ली थी.  

यह भी पढ़ें- दास्‍तां-ए-झंडाना गांव: कोई प्रत्‍याशी नहीं पहुंचा यहां, नाव से पोल‍िंग स्‍टेशन पहुंचते हैं चुनाव अधि‍कारी



[ad_2]

Source link

Umesh Solanki

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *