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सुप्रीम कोर्ट
– फोटो : अमर उजाला

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उच्चतम न्याययालय को बुधवार को बताया गया कि सियासी दलों की ओर से चुनाव से पहले मुफ्त की रेवड़िया देने का वादा करना एक भ्रष्ट आचरण है और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत ‘रिश्वत’ है, जो चुनाव को खोखला घोषित करने का आधार है। 

तीन न्यायाधीशों की पीठ उन याचिकाओं पर विचार कर रही थी, जिसमें चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा इस तरह के समर्थन के के वादे का विरोध किया गया है। इन याचिकाओं में अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर याचिका भी शामिल है। 

याचिकाओं में इन दलों के चुनाव चिह्नों को जब्त करने और पंजीकरण को रद्द करने के लिए चुनाव आयोग को अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करने का निर्देश देने की मांग की गई है। 



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Umesh Solanki

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