सेक्युलर पार्टियां मुसलमानों को भीख नहीं उचित हिस्सेदारी दे: नज़रे आलम बेदरि कारवाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चेताया राजद को।।
हिना शहाब और मुस्लिम नेताओं को नजरअंदाज करना सेक्युलर पार्टियों के लिए बहुत नुकसानदेह होगा: बेदारी कारवां
पटना. प्रेस विज्ञप्ति। ए टू जेड की पार्टी होने का दावा करने वाली पार्टी राजद क्या अब सिर्फ यादवों की पार्टी बन गयी है? या कहीं बीजेपी से खौफ खाकर सिर्फ और सिर्फ एक धर्म विशेष की पार्टी कहलाने में गर्व महसूस करने लगी है। सोचना होगा खासकर अल्पसंख्यकों को, मुसलमानों को, जिनके कीसमत से हुकूमत छीन कर बहुसंख्यक वर्ग ने सिर्फ और सिर्फ राज्य की सभी पार्टियों के साथ-साथ राजद का झोला और झंडा ढ़ोना रख दिया है। मुस्लिम समाज हकीकतों से दूर अपनी ख्वाबों की दुनिया संजोए तारीख से मुंह मोड़ रहा है। ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि राजद जिसकी स्थापना MY समीकरण पर हुई और इसी समीकरण के सहारे 15 वर्षों तक बिहार में सरकार में भी रही, वही राजद 2015 तक आते आते ए टू जेड की पार्टी हो जाती है। हासिल किया हुआ वो तारीख का हिस्सा है। कहने का मतलब यह है कि लालू यादव के नूरे नजर तेजस्वी यादव ने अपनी पार्टी को ए टू जेड की पार्टी नहीं बल्कि जनसंघ की एक शाख बनाकर रख दिया है। आइए आपको थोड़ा इतिहास से रूबरू कराते हैं। मुसलमान या मुस्लिम नाम से जुड़े राजद के सभी वरिष्ठ नेता आज हाशिए पर हैं या गुमनाम हो चुके हैं और इसके लिए सिर्फ और सिर्फ लालू परिवार जिम्मेदार है। नज़रे आलम ने आगे कहा कि डॉ. मोहम्मद शहाबुद्दीन, जिन्होंने राजद की स्थापना से लेकर उसे आगे बढ़ाने तक नेतृत्व किया, आज उनका परिवार/उनकी पत्नी और शेर दिल बेटे ओसामा शहाब अवाम की भीड़ के बावजूद राजद में उनकी उपेक्षा की जा रही है। इसी कड़ी में तनवीर हसन, अली अशरफ फातमी, अहमद अशफाक करीम, अब्दुल बारी सिद्दीकी, अनवारुल हक, अब्दुल गफूर और तस्लीमुद्दीन साहब का नाम लिया जा सकता है। लालू परिवार ने इन सभी नेताओं को या तो ठिकाने लगा दिया है या गुमनामी की स्थिति में डाल दिया है, पर मुस्लिम जनता आलमे वजूद नहीं बल्कि आलमे अदम में हो जैसे, इसे कुछ दिख ही नहीं रहा हे, इसे बस दिख रहा है तो इतना के तेजस्वी यादव का झोला और झंडा कैसे ढ़ोया जाए और मजेदार बात ये है के इस काम में मुस्लिम जनता कामयाब भी है।
दूसरी ओर देखा जाए तो लालू परिवार अपने परिवार समेत खासकर हिंदू और विशेष बिरादरी यादव को बढ़ावा दे रहे हैं, बात योग्यता की नहीं बल्कि धर्म और जाति की है। बात मीसा भारती की हो या अन्य महत्वपूर्ण लोगों में जगदानंद सिंह, शिवानंद तिवारी, प्रभुनाथ सिंह, चंद्रिका राय, भोला यादव, ललित यादव, चंद्रशेखर यादव, राहुल तिवारी और पुनीत कुमार सिंह के नाम लिए जा सकते हैं।
तेजस्वी को समझना होगा कि उन्होंने न सिर्फ मुसलमानों को हाशिए पर धकेल दिया है, बल्कि उन्होंने अपनी पार्टी को भी हाशिये पर डाल दिया है और अभी उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं है। 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ ही 2025 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी लोकसभा में शून्य सांसद और विधानसभा चुनाव में 3 सीटों पर सिमटेंगे। यह कोई काल्पनिक पूर्वानुमान नहीं बल्कि तथ्य आधारित डेटा है।
मुस्लिम समाज नींद से जागा हुआ तो मालूम पड़ता है पर अभी पूरी तरह जाग नहीं रहा है। इसने न जागने की कसम ले रखी है तो तेजस्वी ने मुस्लिम समाज, मुस्लिम कौम और मुस्लिम नेताओं को बर्बाद करने की ठान ली है।
लेकिन हम ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ के मंच से बताना चाहते हैं कि चाहे बात शहाबुद्दीन साहब की हो या उनकी पत्नी और उनके बेटा ओसामा शहाब की या फिर ऊपर बताए गए अन्य मुस्लिम नेताओं की, अब अल्पसंख्यक समुदाय शहाब परिवार के साथ है, मुस्लिम नेताओं के साथ है, जो हमें हमारा हक देगा, हम उसके साथ जाने की सोच सकते हैं।
राजद को भी ये समझना होगा, साथ ही तमाम पार्टियों को जो बीजेपी से अलग हैं उनको भी के आप सभी की पहचान धर्मनिरपेक्षता है, अगर आप सॉफ्ट हिंदुत्वा की ओर भी गए तो खत्म हो जाएगा। मुस्लिम/अल्पसंख्यक समेत बिहार राज्य और भारत के अमन पसंद लोगों को समझ आ गया है कि जब सब कोई सांप्रदायिकता/उग्रवाद और हिंदुत्वा की ही बात करेगा तो भाजपा में क्या बुराई है।
आज हमारा संदेश बिल्कुल साफ और स्पष्ट है कि राजद हमें भीख की हिस्सेदारी नहीं बल्कि हमें हमारा हक दे, हमारे वरिष्ठ नेताओं के साथ आदर और सम्मान से पेश आए और उनके बच्चों को न सिर्फ उनका हक लौटाए बल्कि उन्हें राजनीति में भी वापस लाए। महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे, तभी आने वाले समय और चुनाव में मुस्लिम समाज/अल्पसंख्यक समाज राजद पर भरोसा कर सकता है, अन्यथा हमारे पास कई रास्ते खुले हैं और मंजिलें भी नजर आ रही हैं।
रिपोर्ट: इरफान जामियावाला, मुम्बई