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बकरीद 2023: साल में दो बार ईद का पर्व मनाया जाता है। वन मीड और दूसरा बकरीद। ईद-अल-फित्र पर जहां खीर बनाने का संकल्प है वहीं ईद-उल-अजह यानी बकरीद पर मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह को बकरे की कुर्बानी देते हैं। ये पर्व इस्लाम धर्म में बलिदान का प्रतिक माना जाता है।
इस्लामिक लीगेसी के अनुसार यह पर्व लिप ईद के करीब दो महीने के बाद इस्लामिक कैलेंडर के सबसे आखिरी महीने में मनाई जाती है। आइए जानते हैं साल 2023 में ईद-उल-अजाहा यानी बकरीद की डेट और क्या है इसका इतिहास।
बकरीद 2023 तारीख (बकरीद 2023 तारीख)
70 दिनों के बाद लगभग बकरीद मनाई जाती है। साल 2023 भारत में बकरीद का त्योहार 28 जून 2023 को मनाया जाएगा। बकरीद का त्योहार कुर्बानी का संदेश देता है। इसका अर्थ होता है फ़िदा के बताए रास्ते पर चलना।
बकरीद में क्यों दी जाती है बकरे की कुर्बानी
इस्लाम धर्म के अनुसार आखिरी पैगंबर हजरत इब्राहिम मोहम्मद माने जाते हैं। हजरत मोहम्मद खुदा में पूर्ण के प्रति बहुत समर्पण थे कि अपने ही बेटे की कुर्बानी देने को तैयार हो गए थे। कहते हैं कि इब्राहिम की इबादत से खुश होकर खुदा ने अपने दुआओं को कुबूल किया और उनकी फिर परीक्षा ली। कहते हैं अल्लाह ने इब्राहिम से उनकी सबसे कीमती और प्यारी चीज की बली देने की मांग की। अल्ला के प्रति अपना सच्चा श्रद्धा और प्यार को साबित करने के लिए वे अपने अजीज बेटे इस्माइल को कुर्बान करना चाहते हैं लेकिन खुद का जलवा यह हुआ की सन इस्माइल की जगह तुंबे की कुर्बानी हो गई। इसी घटना के बाद ईद-उल-अजहा पर बकरे की कुर्बानी दी जाने लगी।
बकरीद मनाने के नियम (Eid-Al-Adha का महत्व)
बकरीद में मुस्लीम धर्म के लोग बकरे की कुर्बानी से पहले उसे लाड-प्यार से पालते हैं। ईद-उल-अजहा वाले दिन नर बकरे की कुरबानी दी जाती है और इस गोश्त को तीन सदस्यों में से पहला हिस्सा, परिजनों, दोस्तों और पड़ोसियों को दिया जाता है। दूसरा हिस्सा और आलेख और तीसरा परिवार के लिए होता है। इस तरह हर साल कुर्बानी का ये त्योहार मनाया जाता है।
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