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हरियाली तीज 2023: अनोखे स्वर में हर साल सुहागिनों के लिए हरियाली तीज का व्रत रखा जाता है। सावन के महीने में आने वाली हरियाली तीज का दिन शंकर और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक है। हर साल श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन सभी महिलाएँ अपने पति की आयु, दाम्पत्य जीवन में प्रेम और भाग्योदय के लिए निर्जला व्रत करती हैं।
हरित तीज के दिन शिव परिवार और तीज माता की पूजा की जाती है। उपयुक्त वर के लिए कुबुद्धि लड़कियां भी इस व्रत का पालन विधि-विधान से करती हैं। आइए जानते हैं इस साल हरियाली तीज की तारीख, शुभ उत्सव और महत्व।
हरियाली तीज 2023 तिथि हरियाली तीज 2023 तिथि)
इस साल सावन का महीना 4 जुलाई 2023 से शुरू होगा. पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का व्रत 19 अगस्त 2023, शनिवार को किया जाएगा। सावन के महीने के तीज का पर्व महिलाओं के लिए सुख-सौभाग्य बढ़ाने वाला माना जाता है।
हरियाली तीज 2023 महोत्सव (हरियाली तीज 2023 मुहूर्त)
पंचांग के अनुसार वंहा मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त 2023 को रात्रि 08 बजे 01 मिनट पर आरंभ होगा। तृतीया तिथि का समापन 19 अगस्त 2023 को रात्रि 10 बजे 19 मिनट पर होगा।
- प्रातः काल का उत्सव – प्रातः 07.47 – प्रातः 09.22
- दोपहर का उत्सव – दोपहर 12.32 – दोपहर 02.07
- शाम का उत्सव – शाम 06:52 – रात 07:15
- रात का उत्सव – प्रात: 12.10 – प्रात: 12.55 (20 अगस्त 2023)
हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है? (हरियाली तीज व्रत पूजा)
सुंदरता और प्रेम का प्रतीक माने गए हरियाली तीज के पर्व में महिलाएं शंकर-पार्वती की पूजा के साथ लोक गीत गाती हैं, झूले झूलती हैं। हरित तीज से एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाता है। इस दिन नवविवाहित लड़की से वस्त्र, आभूषण, लिपस्टिक का सामान, मूर्ति और मिठाई का सामान लिया जाता है।
हरियाली तीज का महत्व (हरियाली तीज महत्व)
पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या और 108वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कहा जाता है कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था, तभी से ये सुहाग पर्व मनाया जाता था। हरित तीज व्रत के प्रभाव से ब्रह्मचर्य कन्याओं को शिव समान पति प्राप्त होता है वहीं सुहागिन महिलाओं को सुखद दांपत्य का आशीर्वाद मिलता है।
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