अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस समर्थित संस्था ‘ऑर्गनाइज़्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी)’ की ओर से अदानी समूह पर आरोप लगाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गौतम अदानी के भाई विनोद अदानी की भूमिका पर सवाल उठाए हैं.
Photo Courtesy PTI
कांग्रेस संसद में कहा है कि कम से कम प्रधानमंत्री को इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच करानी चाहिए।
Daily-Khabar/ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक रिपोर्ट के बाद अदानी समूह की जांच का आदेश देना चाहिए जिसमें दावा किया गया है कि समूह में लाखों डॉलर का निवेश करने वाले दो व्यक्तियों के इनके प्रवर्तकों के साथ घनिष्ठ संबंध है
संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट ने गुरुवार को एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें आरोप लगाया गया कि ताइवान के चांग चुंग-लिंग और संयुक्त अरब अमीरात के नासिर अली शाबान पहले ने मॉरीशस स्थित अपारदर्शी निवेश फंडों के माध्यम से बड़ी रकम का निवेश किया इस पैसे का इस्तेमाल बाद में 2013 से 2018 के बीच चार अडानी कंपनियों के शेरों के व्यापार में किया गया।
रिपोर्ट के आरोप, जिसके लिए द फाइनेंशियल टाइम्स और द गार्जियन ने ओसीसीआरपी के साथ सहयोग किया, भारतीय शेयर बाजार नियमों के संभावित उल्लंघन के बारे में सवाल उठाते हैं।
गुरुवार को गांधी ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कम से कम मोदी को आरोपी की संयुक्त संसदीय समिति से जांच करानी चाहिए।
वायनाड सांसद ने कहा, हम दुनिया को यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि हम एक पारदर्शी अर्थव्यवस्था हैं हम दुनिया को दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि भारत के पास समान अवसर हैं भारत के प्रधानमंत्री के करीबी एक सज्जन को अपने शेर की कीमत बढ़ाने के लिए और बहुत रुपए स्थानांतरित करने की अनुमति क्यों दी गई ताकि उस धन का उपयोग भारतीय संपत्तियों हवाई अड्डों बंदरगाहों पर कब्जा करने के लिए किया जा सके?
गांधी ने पूछा कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार समूह की जांच क्यों नहीं कर रही है “यह बहुत महत्वपूर्ण है कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी अपना नाम स्पष्ट करें और स्पष्ट रूप से बताएं कि क्या हो रहा है”,
कांग्रेस नेता मैं कहा कि आरोपी से राष्ट्रीय रक्षा के बारे में भी सवाल उठाते हैं क्योंकि अदानी भारत की रक्षा कंपनियों बंदरगाहों और हवाई अड्डों में एक धारक हैं। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट अगले हफ्ते होने वाली जी 20 शिखर सम्मेलन से ठीक पहले मोदी के खिलाफ गंभीर सवाल उठाती हैं और भारत की वैश्विक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचती है।
इससे पहले फरवरी में राहुल गांधी ने संसद में गौतम अडानी के साथ मोदी के संबंधों पर सवाल उठाया था जब अमेरिकी निवेश फर्म हिंडनवर्ग रिसर्च में आरोप लगाया था कि अडानी समूह कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला कर रहा है।
उसे समय गांधी ने 2014 में मोदी के सत्ता में आने के बाद से गौतम अडानी की व्यावसायिक संपत्ति और व्यक्तिगत संपत्ति में भारी वृद्धि पर सवाल उठाया था।
संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट में कहा कि हालांकि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि चांग और अहली के निवेश का पैसा अडानी परिवार से आया था।
शेयर बाजार विशेषज्ञ अधिवक्ता अरुण अग्रवाल ने ओसीसीआरपी को बताया कि किसी भी कंपनी के लिए उसके 75% से अधिक शेयर रखना अवैध है।
अग्रवाल ने कहा जब कंपनी 75% से ऊपर अपने शेयर खरीदनी है तो वह न केवल अवैध है बल्कि यह शेर की कीमत में हेर फेर है इस तरह कंपनी थोड़ा सा कमी पैदा करती है और इस प्रकार अपने शेयर मूल्य को बढ़ाती है और इस प्रकार इसका अपना बाजार का पूजीकरण होता है।
चांग और अहली का अडानी परिवार के साथ लंबे समय से व्यापारिक संबंध रहा है और उन्होंने अडानी समूह की कंपनियों में निदेशक और शेयरधारक के रूप में काम किया है वे ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी से भी जुड़े हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में एक समय पर अदानी समूह के स्टॉक में उनके निवेश का मूल्य 430 मिलियन डॉलर [3,552] करोड़ था रिपोर्ट में प्रतिभूति अनुबंध विनियमन अधिनियम के संभावित उल्लंघन के बारे में सवाल उठाए गए हैं जो सूचीबद्ध कंपनियों में न्यूनतम 25% सार्वजनिक हिस्सेदारी निर्धारित करता है।
ओसीसीआरपी के अनुसार अपने निवेश के चरम पर, अकेले अहली और चांग के पास चार अडानी कंपनियों के फ्री-फ्लोटिंग शेयरों में से 8% से 13.15% के बीच हिस्सेदारी थी