[ad_1]
China Taiwan: ताइवान चीन की वो दुखती रग है, जिस पर हाथ रखते ही ड्रैगन बिलबिला उठता है. भारत ने भी इन दिनों कुछ ऐसा ही किया है, जिसकी वजह से चीन गीदड़भभकी देने लगा है. चीन ने कहा कि जिन देशों के बीजिंग के साथ राजनयिक संबंध हैं, उन्हें ताइवान से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. कोई देश अगर ताइवान से आधिकारिक बातचीत करता है, तो हम उसका विरोध करते हैं. हाल ही में भारत और ताइवान के बीच बातचीत हुई है, जिससे चीन को मिर्ची लगी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, पूर्व सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और पूर्व वायुसेना चीफ ऑफ एयर स्टाफ आरकेएस भदौरिया ताइवान गए. भारत के तीन प्रमुख व्यक्तियों ने ताइवान में हुए ‘केटागलन फोरम के 2023 इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी डायलॉग’ में हिस्सा लिया. चीन भारत के इसी कदम से बौखला गया और उसने बकायदा ताइवान पर लंबी-चौड़ी बात कह डाली. उसके हर एक शब्द में बौखलाहट साफ नजर आई.
चीन ने ताइवान पर क्या कहा?
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, एक पाकिस्तानी पत्रकार ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन से पूछा कि हाल ही में ताइपे में ताइवान के अधिकारियों के जरिए एक सिक्योरिटी डायलॉग आयोजित किया गया. इसमें भारत के तीन पूर्व सैन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया. इस पर आप क्या कहना चाहेंगे. पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल के जवाब में वांग वेनबिन ने कहा कि चीन ताइवान के साथ होने वाली किसी भी तरह की आधिकारिक बातचीत का विरोध करता है.
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘चीन ताइवान के अधिकारियों और चीन के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों के बीच सभी प्रकार की आधिकारिक बातचीत का पूरी तरह से विरोध करता है.’ उन्होंने कहा कि हम इस मामले में बिल्कुल स्पष्ट रहे हैं. हमें उम्मीद है कि संबंधित देश यानी भारत वन चाइना पॉलिसी का पालन करेगा. वह ताइवान से जुड़े मुद्दों को उचित ढंग से संभालेगा और ताइवान के साथ किसी भी प्रकार के सैन्य और सुरक्षा सहयोग से परहेज करेगा.
भारत-ताइवान के बढ़ते रिश्ते
भारत चीन की वन चाइना पॉलिसी को मानता है, जिसके तहत ताइवान को चीन के हिस्से के तौर पर जाना जाता है. हालांकि, इसके बाद भी ताइवान संग भारत के रिश्ते हाल के सालों में मजबूत हो रहे हैं. ताइवान की कई सारी टेक्नलॉजी संबंधित कंपनियां भारत में मैन्यफेक्चरिंग प्लांट लगाना चाहती हैं. ताइवान की इलेक्ट्रॉनिक कंपनी फॉक्सकॉन पहले से ही भारत में निवेश कर रही है. अगले पांच साल में ताइवान और भारत के बीच 13 अरब डॉलर का व्यापार करने का टारगेट है.
चीन के साथ टेंशन को देखते हुए ताइवान लगातार भारत में निवेश कर रहा है. हालांकि, भारत और ताइवान के बीच वैसे राजनयिक संबंध नहीं हैं, जैसे चीन समेत बाकी मुल्कों के साथ हैं. ताइवान ने दूतावास की जगह भारत में इंडिया-ताइपे एसोसिएशन के तौर पर एक राजनयिक बिल्डिंग स्थापित की हुई है, जिसके जरिए भारत के साथ बातचीत होती है. इसके अलावा, व्यापार में भागीदारी बढ़ाने के लिए दिल्ली और चेन्नई में दो ‘ताइपे इकोनॉमिक एंड कल्चरल सेंटर’ खोले गए हैं.
यह भी पढ़ें: फ़िलिपींस मलेशिया समेत इन देशों का भारत को मिला साथ, चीन के नए नक्शे पर जताया विरोध
[ad_2]
Source link