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ओटीटी के आगमन ने पूर्व मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन को बतौर अभिनेत्री एक नया जीवन दिया है। 2010 में दो फिल्में करने के बाद वह 2015 में एक बांग्ला फिल्म में दिखीं और फिर उसके बाद सीधे वेब सीरीज ‘आर्या’ में। एक लंबे अंतराल के बाद कैमरे के सामने लौटीं सुष्मिता सेन बिल्कुल बदली हुई हैं। एक इंसान के तौर पर भी और एक कलाकार के तौर पर भी। इसी सीरीज के तीसरे सीजन की शूटिंग के दौरान उन्हें दिल का दौरा भी पड़ा, लेकिन अस्पताल से छुट्टी मिलते ही वह सीधे शूटिंग पर पहुंची और जमकर तलवारबाजी भी की। ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने वेब सीरीज ‘आर्या’ के तीसरे सीजन की रिलीज से पहले सुष्मिता सेन ये खास मुलाकात की। साथ में इस सीरीज के चर्चित कलाकार विकास कुमार हैं और हैं इला अरुण, जो इस सीरीज में तीसरे सीजन से जुड़ रही हैं।
महिला प्रधान हिंसक फिल्म सीरीज ‘किल बिल’ बनाने वाले निर्देशक क्वेंटिन टैरेंटिनो से हाल ही में किसी ने इसकी तीसरी कड़ी की संभावनाओं के बारे में पूछा, मैं ये बातचीत पढ़ ही रहा था कि मुझे ‘आर्या’ सीजन 3 का ट्रेलर दिखा, यूं लगा कि जैसे ‘किल बिल 3’ बनती तो कुछ ऐसी ही तो नहीं होती?
अरे वाह! ‘किल बिल 3’ से ‘आर्या 3’। ये हमारे लिए बहुत बड़ा सम्मान है। हमारे पास जो संसाधन हैं और जिस दायरे में रहकर हम ये कर सकते थे, उस माध्यम से हमने पहले दो सीजन के मुकाबले इस बार काफी एक्शन सीन किए हैं। ये ‘आर्या’ में पहले नहीं था। इस बार भी इसे इस तरीके से किया गया है कि आर्या राजस्थान से है और तलवारबाजी उसकी रग रग में है। ये कुछ ऐसा है जिसके साथ उनकी परवरिश हुई है। बहुत ही खूबसूरती से इस बार कहानी में एक्शन का समावेश किया गया है, और उतनी ही खूबसूरती से इसकी शूटिंग की गई है।
हिंदी सिनेमा ने आपके अब दो रूप देख लिए हैं। पहला वह जो इसने आप में देखना चाहा और दूसरा वह जो अब आप सिनेमा को दिखा रही हैं जो शायद ग्लैमर की चकाचौंध में कहीं छूट गया था…
आपने जिस तरीके से इतनी बड़ी बात सिर्फ दो लाइनों में कह दी वह बहुत कमाल है। मैं मानती हूं कि मेरी अभिनय यात्रा के शुरू में काफी सारी चीजें ऐसा हुई होंगी जिनके चलते मैं एक परंपरागत मसाला फिल्मों की हीरोइन के सांचे में फिट नहीं बैठ पाई। उस दौर के हीरो से मैं लंबी थी। उस दौर में हीरो हर फिल्म में एक अबला नारी को बचाने निकलता था, तो वैसी छवि भी नहीं थी मेरी। मैं तो इसे अपनी ही कमियां मानती हूं।
क्या वाकई एक सफल महिला के आसपास पुरुष खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं?
इसके विपरीत बहुत ऐसे पुरुष भी मिले हैं मुझे जो बिल्कुल भी असुऱक्षित नहीं रहते। हमारा जेंडर क्या है, इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। लेकिन ये बातें 90 के दशक में नहीं थीं। ऊपर से मैं एक तो कद में इतनी लंबी और फिर मटकने को कहते थे। लेकिन, तब भी मुझे फराह खान जैसे लोग मिले, जिन्होंने मेरी काबिलियत को समझा।
हां, वह फिल्म ‘सिर्फ तुम’ के गाने दिलबर, दिलबर का क्या किस्सा है?
फराह खान इस गाने की कोरियोग्राफर थीं और मैं मेकअप टचअप कराते इस गाने के धुन पर ऐसे ही ठुमके लगा रही थी। फराह ने मुझे देखा तो वह मेरे पास आईं और बोलीं कि वही फिर से करके दिखाओ जो अभी तुम कर रही थीं तो मैंने वापस करके दिखाया। मुझे देखने के बाद उन्होंने पूरे गाने की कोरियोग्राफी ही बदल दी। फिल्म में जो दिलबर दिलबर गाना दर्शक देखते हैं, उसे फराह ने मेरी देहयष्टि के हिसाब से तैयार किया।
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