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निर्जला एकादशी 2023 व्रत पारण: आज साल की सबसे बड़ी निर्जला एकादशी का व्रत है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है, इसके प्रभाव से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद वह जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। जगत के पालनहार भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए 24 घंटे निर्जल व्रत किया जाता है, मान्यता है इससे धन-लक्ष्मी की प्राप्ति होती है और अनुरुप जीवन सुख-शांति से परिपूर्ण रहता है।
निर्जला एकादशी का व्रत पारण द्वादशी तिथि पर किया जाएगा। निर्जला एकादशी व्रत समय कुछ विशेष चिंताओं का अवश्य ध्यान रखें, एक चूक से 24 एकादशी व्रत के फल से विनय हो सकते हैं, इसलिए आइए जानते हैं निर्जला एकादशी व्रत पारण मुहूर्त, नियम और कैसे व्रत ये.
निर्जला एकादशी 2023 व्रत पारण समय (निर्जला एकादशी 2023 व्रत पारण का समय)
निर्जला एकादशी का व्रत 1 जून 2023, गुरुवार को किया जाएगा। गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भी कई लोग श्रीहरि के निमित्त पीले गुरुवार व्रत करते हैं। निर्जला एकादशी का व्रत 1 जून की सुबह 05 बजकर 24 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक का सबसे शुभ समय है।
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि दोपहर 01 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। इस तिथि के समापन से पहले एकादशी व्रत खोलने का विधान होता है, न कि व्रत अनुपालन किया जाता है।
निर्जला एकादशी का व्रत कैसे वर्णन करता है? (निर्जला एकादशी व्रत खोलने की विधि)
उपवास की कड़ी बारीकियों के कारण सभी एकादशी व्रतों में निर्जला एकादशी व्रत सबसे कठिन होता है, इसमें अन्न के साथ जल का त्याग भी होता है। ऐसे में द्वादशी तिथि पर सबसे पहले स्नान के बाद विष्णु जी की विधान से पूजा करें, ब्राह्मणों को भोजन कराएं, दान-दक्षिणा और फिर जल पीकर व्रत व्यक्त करते हैं।
निर्जला एकादशी व्रत पारण में बंधन ये सावधानी (निर्जला एकादशी व्रत पारण नियम)
निर्जला एकादशी का व्रत पानी पीकर खोलना चाहिए, फिर पूजा में चढ़ाए रसीलेफल प्रबल। यह अच्छा रहता है। एकादशी व्रत पारण हरि वासर में भूलकर भी न करें, नहीं तो व्रत-पूजन के फल से विनय रह जाएंगे। द्वादशी तिथि की पहली चौथी अवधि को हरि वासर कहा जाता है। इस दौरान एकादशी को अशुभ माना जाता है। इस साल निर्जला एकादशी का व्रत गुरुवार के दिन है, ऐसे में जो लोग गुरुवार का व्रत करते हैं वह फलाहार करके एकादशी का व्रत दर्शाते हैं।
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