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शहद बनाम चीनी: भारतीय रसोइयों में ऐसी कई चीजें मौजूद हैं, जिनसे सेहत को अनगिनत फायदे मिल सकते हैं। इन चीजों में एक शहद भी शामिल है, जो कई औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है। शहद का इस्तेमाल हजारों सालों से शुगर के रूप में किया जा रहा है। आज भी कई लोग चीनी की जगह इसे अपनाना ज्यादा पसंद मानते हैं। चूंकि शहद में एंटीमाइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं, इसलिए ये स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माने जाते हैं। अब सवाल है कि क्या शहद वास्तव में चीनी से लाख गुना ज्यादा बेहतर होता है?

दरअसल चीनी और शहद दोनों ही चीजें फ्रुक्टोज और ग्लूकोज से बनी होती हैं। शहद में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और एलर्जी काफी अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। जबकि चीनी शरीर को दाखिल सहित कई गंभीर रोग दे सकते हैं। आइए जानते हैं शहद शुगर से ज्यादा बेहतर क्यों है?

शहद चीनी से ज्यादा बेहतर क्यों?

1. पोषण से भरपूर

शहद में कई जरूरी पोषक तत्व और एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। जबकि चीनी में एक बताया गया कार्बोहाइड्रेट होता है, जिसमें पोषक तत्वों की कमी पाई जाती है। टाइटेनियम एसिड, एंजाइम, विटामिन और फक्कड़ मौजूद होते हैं, जो शरीर को अलग-अलग तरीके से फायदे देते हैं, जैसे-इमेजिनिटी को मजबूत करना, सूजन की समस्या से राहत देना और घाव को तेजी से भरना आदि।

2. कम ग्लाइसेमिक

चीनी की तुलना में शहद का ग्लाइसेमिक सॉकेट बहुत कम हो जाता है, जिसका स्पष्ट सीधा मतलब यह है कि इसे खाने से ब्लड शुगर के स्तर में जकड़न की स्थिति नहीं रहती है।

3. गुडाइजेशन

शहद को डाइजेस्ट करना मुश्किल नहीं होता क्योंकि इसमें एंजाइम मौजूद होते हैं, जो कार्बोहाइड्रेट को तोड़ते हैं। जबकि चीनी रक्तप्रवाह में घुसकर ब्लड शुगर का स्तर बढ़ाने का काम करता है।

4. लो-कैलोरी

भले ही मीठा होता है, लेकिन इसमें कैलोरी की मात्रा चीनी की तुलना में बहुत कम होती है। अगर आप लो-कैलोरी के साथ मिठास भी चाहते हैं तो शहद को अपनी डाइट का हिस्सा बना सकते हैं।

5. एनर्जी एनर्जी

शहद में फ्रुक्टोज और ग्लूकोज जैसे ग्लूकोज पाए जाते हैं, जो असल में एनर्जी सब्सक्राइब माने जाते हैं। यह शरीर को आसानी से अबजॉर्ब करता है और तुरंत एनर्जी प्रदान करता है। जबकि चीनी को अब्जॉर्ब करने के लिए शरीर को पहले फ्रुक्टोज और ग्लूकोज को तोड़ना पड़ता है।

6. त्वचा के लिए लाभ

शहद में विरोधी गुण पाए जाते हैं, जो पिंपल्स, सूजन जैसी समस्या को खत्म करने का काम कर सकते हैं। जबकि ज्यादा चीनी खाने से ग्लाइकेशन की समस्या हो सकती है।

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Umesh Solanki

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