[ad_1]

गौतम बुद्ध अमृतवाणी हिंदी में: गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। बुद्ध राजपाट, अंधे और परिवार मोह का त्यागकर दिव्य ज्ञान की खोज में निकल जाते हैं। वे वर्षों बिहार के प्रवाह में बोधि वृक्ष के नीचे तपस्या की।

बुद्ध के विचार, ज्ञान, उपदेश और अनमोल वचन से लोगों का जीवन बदल जाता है। यही कारण है कि बौद्ध धर्म और गौतम बुद्ध के पूर्व वाले भारत के कई सदस्य हैं। अगर आप भी अपने जीवन को ज्ञान के प्रकाश से जलाना चाहते हैं और जीवन को बेहतर बनाना चाहते हैं तो बुद्ध के विचार को जरूर अपनाएं।

गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी कई प्रेरक कहानियां हैं, जिनमें जीवन का सार और ज्ञान छिपा है। आज बुद्ध की अमृतवाणी में जाने के बारे में। कई बार लोग चीजों को बेकार समझ लेते हैं या केवल एक बार इस्तेमाल कर फेंक देते हैं। लेकिन चीजों की अहमियत को किसी व्यक्ति के गुणों को पहचानते हैं। यह कहानी गौतम बुद्ध और उनके एक भक्त से जुड़ी है।

बुद्ध की प्रेरक कहानियाँ

एक बार गौतम बुद्ध के एक भक्त ने उनसे कहा कि- प्रभु! मुझे आपसे कुछ निवेदन करना है। बुद्ध ने कहा, बताओ क्या कहता है? भक्त ने बुद्ध से कहा कि, भगवान मेरे वस्त्र पुराने हो चुके हैं और अब ये धारण करने योग्य नहीं हैं। कृपया मुझे नए परिधान देने में परेशानी करें। बुद्ध ने देखा कि प्रमाण में भक्त के वस्त्र बहुत पुराने और पूरी तरह से जीर्ण हो चुके हैं। इतने ही नहीं कपड़े की जगह- जगह से घिसे भी थे। बुद्ध ने तुरंत अपने भक्त को एक नया परिधान देने का आदेश दिया।

कुछ ही दिन के बजट के बाद बुद्ध अपने भक्त के बुजुर्ग पहुंचे। बुद्ध ने पूछा कि, क्या अब तुम अपने नए कपड़ों में आरामदायक महसूस कर रहे हो। क्या सिर और किसी चीज की जरूरत है तो बताता है। भक्त ने कहा, धन्यवाद प्रभु। मैं इन कपड़ों में बहुत आराम महसूस कर रहा हूं, इसके अलावा और कपड़ों की अभी जरूरत नहीं है। बुद्ध बोले कि अब जब नए कपड़े मिल गए हैं तो अपने पुराने कपड़ों का काम कर रहे हैं?

भक्त ने बुद्ध से कहा कि, मैं अब उसे ओढ़ने के लिए प्रयोग कर रहा हूं। बुद्ध बोले, तो फिर अपनी पुरानी ओढ़नी का क्या किया? भक्त ने कहा, जी मैंने उसे खिड़की पर परदे की तरह लगा दिया, क्योंकि परदे पुराने हो गए थे। बुद्ध ने फिर से भक्त से पूछा कि, तो क्या पुराना परदे फेंक दिया। भक्त ने कहा, नहीं-नहीं प्रभु मैं तो परदे के टुकड़े उन्हें रसोई में गरम पतीलों को आग से देखने के लिए उपयोग कर रहा हूं।

बुद्ध ने कहा ओह, तब फिर रसोई के पुराने कपड़ों को रसोई में फेंक दिया जाएगा। भक्त ने कहा अब मैं रसोई के कपड़ों को पोछा लगाने के लिए प्रयोग करूँगा। बुध बोले तो अच्छा पुराना पोछा क्या हुआ। भक्त ने कहा, प्रभु वो बहुत तार-तार हो गया था और उसका कुछ नहीं किया जा सकता था। इसलिए मैंने उसकी एक-एक बता दी अलग कर दी और बत्तियां रहने तैयार कर ली। उन्होंने में से एक बात कल मैंने आपके चैट में प्रकाशित किया था। बुद्ध अपने भक्त से बहुत प्रसन्न हुए। क्योंकि भक्त में यह समझ था कि, पुरानी वस्तुओं का कहाँ और कैसे प्रयोग किया जा सकता है।

सीखें: ऐसे लोग बहुत कम होते हैं जो वस्तुओं को बर्बाद नहीं करते। आज लोग एक कपड़े को एक से दो बार पहनने वाले को हटा देते हैं। थाली में भोजन तो भरकर ली जाती है। लेकिन खाने से अधिक भोजन नाले में जाता है। आज आधुनिक युग में हमें ऐसी ही समझ की जरूरत है। लेकिन निराशा हम ऐसे दौर में होते हैं, जहां पुराने कपड़ों के पोछा बनाने वालों पर मीम बनाया जाता है। आप पुराने कपड़ों के भले ही पोछा न बनाएं। लेकिन वस्तु के प्रभाव को समझने और जाने वाली चीजों को नष्ट करने से बचें। फिर चाहे वह पुराने वस्त्र हो, भोजन हो, जल हो या अन्य कोई भी चीज। इस बात का ध्यान रखें कि प्रकृति और जीवन में पाई जाने वाली चीजें धन्य और दर्शनीय हैं।

ये भी पढ़ें: शनि वक्री 2023: शनि चलेंगे अब उल्टी चाल, मेष राशि से मीन राशि तक पर क्या होगा शनि वक्री का असर, जरूर जानें

अस्वीकरण: यहां देखें सूचना स्ट्रीमिंग सिर्फ और सूचनाओं पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी विशेषज्ञ की जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित सलाह लें।

[ad_2]

Source link

Umesh Solanki

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *