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बस्तर समाचार: छत्तीसगढ़ में भी कुछ दिनों में टच करने वाला है। इसके लिए छत्तीसगढ़ के अन्य शेयर के साथ-साथ बस्तर संभाग के भी किसानों ने खेती किसानों की तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन खाद बीज की किल्लत होने की वजह से उन्हें अपनी फसल की चिंता सताने लगी है। दरअसल पिछले कुछ दिनों से बस्तर जिले के साथ-साथ पूरे संभाग भर में खाद बीज के लिए किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

एक तरफ जहां जमकर इसकी कालाबाजारी हो रही है। वहीं दूसरी तरफ सहभागी समिति और पटवारी संघ द्वारा अपने भिन्न को लेकर हड़ताल पर जाने से किसानों का काम पूरी तरह ठप है। दरअसल अपनी फसल से पहले किसान क्रेडिट कार्ड बनाते हैं। लैम्प्स से उन्हें बीज उपलब्ध होता है। इसके साथ ही खेती किसानों को करने के लिए किसानों को लोन भी मिलता है, लेकिन बस्तर के ज्यादातर किसानों को इस साल इसका लाभ नहीं मिला है।

यही कारण है कि बस्तर के उन्नत किसानों ने तो निजी दुकानों से कटौती बीज और खाद की शर्त द्वारा अपनी खेती किसानी शुरू कर दी है, लेकिन छोटे किसानों को बेहद निराशा होती है। क्योंकि प्राइवेट दुकानों में बीज का मूल्य काफी अधिक दाम में मिलने की वजह से किसान इसे ले पाने में असमर्थ हो रहे हैं। इसका समाधान करने के लिए प्रशासन से मदद की और बढ़ रहे हैं।

बीज के साथ लोन के लिए किसान परेशान हो रहे हैं
बस्तर के किसानों ने बताया कि ठीक मानसून से पहले सभी किसान धान की फसल उगाने के लिए अपने खेत को तैयार करते हैं, लेकिन इस साल के हिसाब से ठीक पहले अपने अंक को लेकर सहबद्ध समिति के कर्मचारी और पटवारी संघ हड़ताल पर जाने की वजह से उनके किसान क्रेडिट कार्ड नहीं पाए जाते हैं। कार्ड नहीं बनने के कारण उन्हें लोन नहीं मिल रहा है। जिस वजह से सोसायटी में ना ही खाद मिल रहा है। ना ही बीज बीज।

वहीं निजी दुकानों में खाद बीज लेने का सामना करना पड़ रहा है। यहां इसके दाम दोगुणे होने की वजह से किसान काफी परेशान हैं। इस वजह से कई किसानों ने अपने खेतों में बुवाई तक शुरू नहीं की है। बस्तर के किसान शैलेन्द्र ठाकुर ने बताया कि सफलता बोने के लिए खाद की शर्त सबसे अधिक होती है। जून के महीने में अधिकतर किसानों की मार्जिन में गिरावट देखी गई है, लेकिन इन दिनों में लैम्प्स लंबे समय से हड़ताल की वजह से बंद है। किसानों को ना ही खाद मिल पा रहा है और ना ही बीज, यही कारण है कि बस्तर के किसान अपनी खेती किसानों को लेकर बेहद ही संवेदनशील है।

जिले के सभी लैम्प्स में लटका हुआ ताला
वहीं सहकारिता समिति के जिला अध्यक्ष उत्तम सेठिया ने बताया कि यह खरीफ का सीजन है। इस समय किसान खेती करने के लिए खाद बीज और नगद ऋण लेने के लिए आते हैं, लेकिन वर्तमान में सभी लैम्प्स में ताला लगा है। किसान आशा लेकर लैप्स तक पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां पर लटका देखकर वापस लौट रहे हैं। हड़ताल की वजह से बस्तर जिले में ही लगभग 85 हजार किसान प्रभावित हुए हैं, बस्तर में 90% से अधिक किसान सहकारी समितियों से लोन लेते हैं, ऐसे में सहकारी समितियों के कर्मचारियों द्वारा अपने घोषणा पत्र को लेकर जाने से किसान काफी परेशान हैं . वही पटवारी संघ के अध्यक्ष संजय राय चौधरी का कहना है कि किसान और पटवारी दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं।

हड़ताल की वजह से किसान हो रहे हैं बड़ी परेशानी
मई-जून महीने का सबसे बड़ा महीना किसानों का होता है। किसान समय केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) और सीमांकन का कार्य करके अपने हक की जमीन को इसी तरह देखते हैं। इस आपसी विवाद को भी सुलझाना है। साथ ही जमीन बंटवारा का काम भी किसान इसी समय करते हैं। लेकिन हड़ताल की वजह से किसानों का सारा काम ठप पड़ गया है, वहीं 15 जून के बाद खेत का सीमांकन और अन्य जरूरी काम पूरी तरह से बंद हो गए हैं।

किसान आए दिन पटवारियों का दरवाजा खटखटाते हैं लेकिन काम नहीं होने से किसान मौसकर वापस लौट रहे हैं। पटवारी संघ के अध्यक्ष का कहना है कि किसानों को लेकर पटवारी संघ निश्चित रूप से चिंतित है, लेकिन सरकार पटवारी संघ की मांग पूरी नहीं कर रही है। जिस कारण से जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती तब तक आंदोलन जारी रखने की बात पटवारी संघ के सदस्यों ने कही है।

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Umesh Solanki

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