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प्रीक्लेम्पसिया : प्रेग्नेंसी किसी महिला के लिए सबसे खास पल होता है। इस दौरान मां का विशेष ख्याल भी सबसे जरूरी होता है। इस समय महिला की सेहत जैसी बनी रहती है, उसका प्रभाव बच्चे की सेहत पर भी पड़ सकता है। इसलिए मां को बेहतर आहार और व्यायाम करने की सलाह विशेषज्ञ देते हैं। गर्भावस्था किसी महिला के लिए वो समय होता है, जब महिला को कई तरह की परिस्थितियों का जोखिम रहता है। इसकी सावधानी बरतने की जरूरत है। इस समय कई महिलाएं तो लिपटने की चपेट में आ जाती हैं। कुछ स्थितियां ऐसी भी हैं, जिससे ब्लड प्रेशर की समस्या का जोखिम भी बढ़ सकता है। इसे ही प्रीक्लेम्पसिया (प्रीक्लेम्पसिया) कहा जाता है। आइए जानते हैं क्या है यह समस्या और इससे कैसे बचा जा सकता है…

प्रीक्लेम्पसिया क्या होता है

गर्भावस्था के 20वें सप्ताह में या इसके बाद प्रीक्लेम्पसिया हो सकता है। इस समस्या के होने पर हाई ब्लड प्रेशर के अलावा यूरिन में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो सकती है, जिससे किडनी डैमेज या किसी दूसरे अंग को नुकसान हो सकता है। इस बीमारी के चलते एक्लम्पसिया का जोखिम भी बना रहता है। यह एक तरह की गंभीर स्थिति है। इसमें मां और बच्चे दोनों को समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में तो यह जानलेवा भी हो सकता है। मां-बच्चे की देखभाल के लिए इस समस्या को जानना सबसे ज्यादा जरूरी है।

प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण

1. यूरिन में प्रोटीन या किडनी के रोग।

2. ब्लड में प्लेटलेट का स्तर कम होना।

3. लिवर एंजाइम में अटके हुए, जो लिवर डिजीज के संकेत हो सकते हैं।

4. सिरदर्द, देखने में समस्या, अस्पष्टता।

5. फेफड़े में ब्रोशर होने से सांस की समस्या।

6. पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द।

7. दाहिनी या महसूस करने के नीचे भी दर्द होना।

प्रीक्लेम्पसिया का कारण

1. प्रीक्लेम्पसिया के कई कारण नहीं हो सकते हैं। स्वस्थ वैज्ञानिक के अनुसार, प्लेसेंटा में शुरू होने से प्रेग्नेंसी में भ्रूण को पोषण मिलता है। प्रेग्नेंसी की शुरुआत में नया रक्त वाहिकाएं विकसित होती हैं। इससे प्लेसेंटा को ऑक्सीजन और बाकी जरूरी तत्वों की आपूर्ति होती है।

2. प्रीक्लेम्पसिया की शिकार महिलाओं में रक्त वाहिकाओं का विकास नहीं होता है। इसकी वजह से ब्लड प्रेशर फाइब्रिप हो जाता है और ब्लड सर्कुलेशन में परेशानी हो सकती है। इससे प्रभाव भी प्रभावित हो सकता है।

3. इस बीमारी में क्रोनिक हाई बीपी, प्रेग्नेंसी से पहले सूजन की समस्या, किडनी डिजीज या ऑटोइम्यून डिसऑर्डर हो सकता है।

प्रीक्लेम्प्सिया में बच्चे की सेहत के लिए ख्याल कैसे रखें

प्रीक्लेम्पसिया में धमनियां प्रभावित हैं। ऐसे में यदि भ्रूण को पूरी तरह रक्त नहीं मिल पाता तो उनका विकास प्रभावित हो सकता है। इसकी वजह से कई बीमारियों का खतरा हो सकता है। समय से पहले जन्म के कारण से भी यह एक है। डॉक्टर का कहना है कि इस समस्या से बचने के लिए जीवनशैली और डाइट को ठीक रखना चाहिए। इन दोनों चीजों की वजह से बीमारी होने से बचा जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए स्वास्थ्य से विशेषज्ञ सलाह लेना चाहिए।

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Umesh Solanki

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