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कोकिला व्रत 2023: हिन्दू धर्म में आषाढ़ माह की पूर्णिमा को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। आषाढ़ पूर्णिमा में कई मायनों में खास है, इस दिन लक्ष्मी-नारायण की पूजा, गुरु की पूजा के अलावा कोकिला व्रत भी किया जाता है। कोकिला व्रत को करने से जहां आंध्र प्रदेश के लोगों का दमन होता है, वहां जीवन खुशहाल हो जाता है।

वहीं अगर कुंवारी कन्याएं इस व्रत को भगवान शिव के रूप में सुयोग्यता वर स्थापन के लिए करती हैं। आइए जानते हैं कोकिला व्रत की तारीख, उत्सव और महत्व।

कोकिला व्रत 2023 तिथि (Kokila Vrat 2023 Date)

इस साल कोकिला व्रत 3 जुलाई 2023 को रखा जाएगा। इस दिन देवी सती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। मान्यता है कि कोकिला व्रत के प्रभाव से वेदा को अद्वितीय सौभाग्य और कुँवारी कन्या को उत्तम पति मिलता है।

कोकिला व्रत 2023 तिथि (कोकिला व्रत 2023 मुहूर्त)

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि आरंभ – 2 जुलाई 2023, रात्रि 08:21

आषाढ़ पूर्णिमा तिथि समाप्त – 3 जुलाई 2023, शाम 05:28 बजे

  • अमृत ​​(सर्वोत्तम) – प्रातः 05.27 – प्रातः 07.12
  • शुभ (उत्तम) – प्रातः 08.56 – प्रातः 10.41

कोकिला व्रत का महत्व (कोकिला व्रत महत्व)

धर्म ग्रंथों के अनुसार देव सती को कोयला के रूप में माना जाता है। मान्यता है कि देवी सती ने शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कोकिला का व्रत किया था। इस व्रत के लिए मन के सैटलिक शुभ फल की प्राप्ति होती है। शादी में आ रही किसी भी प्रकार की परेशानी हो तो इस व्रत का पालन करने से विवाह सुख प्राप्त होता है।

कोकिला व्रत पूजा विधि (कोकिला व्रत पूजा विधि)

कोकिला व्रत के दिन ब्रह्म उत्सव में स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धूम्रपान। फिर भगवान भोलेनाथ का पंचामृत अभिषेक करें और गंगाजल से अभिषेक करें। भगवान शिव को सफेद और माता पार्वती को लाल रंग के पुष्प, बेलपत्र, गंध और धूप आदि का उपयोग करें। इसके बाद घी का दीपक जलाएं और दिन भर निराहार व्रत करें। सूर्यदेव के बाद पूजा करें और फिर फलाहार लें। इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता. अगले दिन व्रत का पारण करने के बाद ही अन्न ग्रहण किया जाता है।

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Umesh Solanki

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