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टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम: होटल्स के दिन बहुत ही कठिन होते हैं। इस दौरान सेहत के साथ-साथ हाइजीन का ध्यान रखना काफी जरूरी होता है। अगर हाइजीन में जरा सी भी बदलाव की जाए तो महिलाओं को कई गंभीर समस्या हो सकती है। मित्रता में से एक है टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम। इन दिनों अगर सही समय पर पैड नहीं बदला गया या फिर इंटिमेट एरिया की सफाई नहीं हुई तो इस खतरनाक बीमारी का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है। आइए जानते हैं विस्तार से इसके रहस्य के बारे में।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम क्या है?
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक ऐसी बीमारी है जो स्टेफिलोकोकस ऑरियस नाम के डॉक्टर के कारण बहुत ज्यादा बढ़ती है। यह महिलाओं के शरीर में ही पाया जाता है। आमतौर पर होटल्स में महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। पर जो महिलाएं हाई जीन का ध्यान नहीं रखतीं। जो महिलाएं टैनपोन का प्रयोग करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बेंचमार्क यूट्रस के माध्यम से शरीर में प्रवेश किया जा सकता है, जो रक्त में विषाक्त पदार्थों को ठीक करने के लिए संक्रमण फैलाता है, इसमें व्यक्ति का रक्त घटक असंतुलित होता है। संक्रमण धीरे-धीरे-धीरे-धीरे शरीर के सभी रूपों में पाया जा सकता है। जो लिवर, मूत्रमार्ग के संक्रमण का कारण बनता है, वह भी बन सकता है। इस समस्या के बढ़ने पर हाइपरटेंशन, सिस्टोलिक ब्लड डिसऑर्डर, शरीर की कमजोरी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्या हो सकती है। इस समस्या में किसी व्यक्ति को परेशानी और चिंता महसूस होती है, आपको बताएं कि ये महिलाओं की वैजाइना में ही मौजूद होता है, लेकिन इससे कोई नुकसान नहीं होता है। वहीं अगर टैम्पोन को लंबे समय तक बदला न जाए या फिर पैड को न बदला जाए तो इस ब्रैंड को बॉडी में वैलिडिटी का मौका मिल जाता है।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लक्षण
- डायरिया की समस्या होना
- अचानक से तेज बुख़ार
- चक्कर आना या ख़राब महसूस होना
- आदर्श रूप से अर्थशास्त्र होना
- जोड़ों में दर्द
- रक्त वितरण होना
- हथेलियाँ का रंग पीला पड़ना
- पेशाब कम होना
- जनवरी में चले पड़ना
- दिल की धड़कन बढ़ना
इस बात की अंतिम प्रक्रिया
- पैड हर से 5 घंटे में कमजोर रहो
- वजाइना को साफ़ रखें
- विभिन्न वस्तुओं और लाइफस्टाइल को फॉलो करें
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