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बेल वृक्ष का महत्व और नियम: हिन्दू धर्म में बेल के पेड़ का विशेष महत्व है। तुलसी, पीपल, केला आदि की तरह ही शास्त्रों में बेल के पेड़ को भी महत्वपूर्ण माना गया है। भगवान शिव की पूजा में बेल वृक्ष की लता, पत्ते, फूल और फल का प्रयोग किया जाता है।

धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव का विशेष महत्व बताया गया है, धार्मिक ग्रंथ बेल के पेड़ का भी उल्लेख किया गया है। सिद्धांत यह है कि बेल वृक्ष में भगवान शिव, माता पार्वती, लक्ष्मी जी सहित कई देवी-देवताओं का वास होता है।

आमतौर पर पूजा-पाठ में किसी वृक्ष के फूल या फल का प्रयोग होता है। लेकिन बेल ऐसा वृक्ष है, जिसे पूजा के लिए पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। शिवपुराण में इसमें दिव्य वृक्ष बताया गया है। शिवजी को बेलपत्र अतिप्रिय है। इसलिए शिवजी से संबंधित सभी पूजा में बेलपत्र जरूर लगाए जाते हैं। ऐसे में आपको बेल वृक्ष से जुड़ी ये महत्वपूर्ण बातें जरूर जाननी चाहिए।

कभी न करें बेल वृक्ष से जुड़ी ये गलतियां

  • शिवपुराण में बताया गया है कि सोमवार के दिन कभी भी बेल के पत्ते, तानी या आदि नहीं तोड़ना चाहिए। यदि आप सोमवार के दिन पूजा में बेलपत्र चढ़ाना है तो एक दिन पूर्व ही इसे उत्सव रख लें।
  • सोमवार के साथ ही चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, संक्रांति और संक्रांति के दिन भी बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
  • कभी भी बेल वृक्ष को काटिन नहीं देना चाहिए। कहा जाता है कि बेल के पेड़ को काटने वाले से कई दुखों को समेटा जाता है और वंश का नाश किया जाता है।
  • बेलपत्र कभी भी कलाकार नहीं होते हैं। इसलिए आप बेलपत्र फिर से पूजा में चढ़ा सकते हैं।

बेल वृक्ष का महत्व

  • धार्मिक सिद्धांत है कि, बेल वृक्ष की उत्पत्ति माँ पार्वती के नाम से हुई है। कहा जाता है कि, इसके जड़ो में गिरजा, तनों में माहेश्वरी, कश्मीर में दक्षिणायनी, जंगलों में मां पार्वती, फूलों में कात्यानी, फूलों में गौरी और बेल के सभी पेड़ों में मां लक्ष्मी जी निवास करती हैं। माँ पार्वती के चमत्कारों से उत्पन्न होने के कारण माँ सभी सिद्धांतों में इस वृक्ष में निवास करती है।
  • शिवपुराण में बताया गया है कि, यदि किसी मृत व्यक्ति के शव की छाया उसके सामने आ जाए तो उसे मोक्ष और शिवलोक की प्राप्ति होती है।
  • पितरों को उनके प्राप्त होने और पितृदोष से मुक्ति के लिए आशीर्वाद देने के लिए बेल वृक्ष को भी महत्वपूर्ण माना गया है। नियमित रूप से इसमें जल चढ़ाने से पितृदोष दूर हो जाता है।
  • वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में उत्तर-पश्चिम दिशा में बेल का पेड़ लगाने से यश की प्राप्ति होती है और घर में सुख-सौभाग्य भरा रहता है।
  • बिल्वाष्टक स्तोत्र के अनुसार दर्शनं बिल्ववृक्षस्य स्पर्शनं पापनाशनम्, अघोरपापसंहारं एक बिल्वं शिवार्पणम्”अर्थात बेल वृक्ष का स्पर्श और दर्शन मात्रा से ही व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है। शिव को चढ़ाए गए एक बेलपत्र से अघोर पापों का नाश हो जाता है।

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अस्वीकरण: यहां संस्थागत सूचनाएं सिर्फ और सिर्फ दस्तावेजों पर आधारित हैं। यहां यह जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह के सिद्धांत, जानकारी की पुष्टि नहीं होती है। किसी भी जानकारी या सिद्धांत को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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Umesh Solanki

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