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चातुर्मास 2023: आषाढ़ माह की देवशयनी तृतीया से चातुर्मास प्रारम्भ हो जायेंगे। चातुर्मास में जगत के पालनहार भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं, पाताल में 4 माह तक उनके शयनकाल रहते हैं। ऐसे में चातुर्मास के समय दुनिया की बागडोर भोलेनाथ के हाथों में रहती है। यही कारण है कि चातुर्मास में शिव पूजा का अधिक पुण्य फल मिलता है।

मान्यता है कि चातुर्मास के पहले महीने सावन (सावन 2023) में शिव जी कैलास से पृथ्वी पर आते हैं और ब्रह्मांड का संचालन करते हैं। आइए जानते हैं चातुर्मास में भगवान भोलेनाथ धरती पर कहां निवास करते हैं।

चातुर्मास 2023 कब से कब तक (Chaturmas 2023 Date)

चातुर्मास की शुरुआत 29 जून 2023 से होगी और समापन 23 नवंबर 2023 को देवउठनी एकादशी पर होगा। इस वर्ष अधिकमास से चातुर्मास 5 माह तक रहेगा।

चातुर्मास में पृथ्वी पर यहीं रहते हैं शिव

पौराणिक कथाओं के अनुसार चातुर्मास के पहले महीने में देवता सावन में शिव परिवार अपने भारत में अपने मठ में निवास करते हैं। ग्रंथों के अनुसार शिव जी का मठ हरिद्वार के कनखल में स्थित है, दक्ष मंदिर में माता सती और महादेव का विवाह हुआ था। शिव जी कनखल में पूरे श्रावण मास दक्षेश्वर रूप में विश्राम करते हैं। हर साल शिव जी कथा के मुस्लिम आने को लेकर बेहद रोचक मिसाल है।

देवी सती के अग्निदाह के बाद हुई ये घटना

शिव पुराण के कनखल में देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने फिर से प्रसिद्ध यज्ञ का आयोजन किया था, इसमें भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन देवी सती यज्ञ में शामिल हो गईं। पिता दक्ष ने शिव जी को वहां लेकर कई अपशब्द कहे। देवी सती पति का अपमान सहन नहीं कर पाईं और यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। माता सती के अग्निदाह पर शिव जी के गण वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति का सिर काटा था।

ये है कैलाश से धरती पर आने का कारण

देवों के देव महादेव ने सभी देवताओं की विनती सुन राजा दक्ष को बकर्रे का सिरमौर जीवनदान दिया। राजा दक्ष प्रजापति ने भोलेनाथ से अपनी इस कृति पर सुविधापूर्वक सुविधा ली और शिव जी से वचन लिया कि हर साल सावन में वो यहीं निवास करेंगे, ताकि वे उनकी सेवा कर सकें। सिद्धांत यह है कि चातुर्मास के पहले सावन महीने में भगवान शिव धरती पर आते हैं और सृष्टि का संचालन करते हैं।

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अस्वीकरण: यहां चार्टर्ड सूचना सिर्फ अभ्यर्थियों और विद्वानों पर आधारित है। यहां यह जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह के सिद्धांत, जानकारी की पुष्टि नहीं होती है। किसी भी जानकारी या सिद्धांत को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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Umesh Solanki

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