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Manipur Violence: मणिपुर में मई से हिंसा जारी है. शुक्रवार (8 सितंबर) को ही राज्य की तेंगनोउपल जिले के पल्लेल इलाके में गोलीबारी की दो घटनाओं में दो लोगों की मौत हो गई. इसमें लगभग 50 अन्य घायल हो गए. इस बीच केंद्र सरकार ने हिंसा पर काबू पाने और लोगों के पुनर्वास के लिए जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी कर रहे 2 हजार जवानों को मणिपुर में फिर से तैनात किया है. 

टाइम्स ऑफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इसके अलावा कई हजार सैनिक राज्य में आने की तैयारी में है. इसमें सीआरपीएफ की महिला कंपनी सहित नौ कंपनी है. वहीं बीएसएफ की 18 कंपनी है. सीआरपीएफ के जवान इंफाल में मंगलवार (5 सितंबर) को पहुंचे तो वहीं बीएसएफ के जवान दिमापुर में बुधवार (6 सितंबर) को आए. 

जम्मू-कश्मीर में किस कारण तैनात किया गया था?
बीएसएफ की आधी कंपनी आने की तैयारी में है. सूत्रों के मुताबिक, सीआरपीएफ और बीएसएफ की 27 कंपनी जम्मू कश्मीर में अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर यहां मौजूद थीं. हजारों सैनिक नई दिल्ली में शनिवार (9 सितंबर) और रविवार (10 सितंबर) को हो रहे जी-20 समिट खत्म होने के बाद मणिपुर में आएंगे. 

मणिपुर में हिंसा कब शुरू हुई?
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में जनजातीय एकजुटता मार्च के आयोजन के बाद तीन मई को राज्य में हुई हिंसा शुरू हुई थी. इसके बाद से अब तक 150 से अधिक लोगों की मौत हो गई. सैकड़ों लोग घायल हो गए. वहीं कई लोगों के घर जला दिए गया. मणिपुर की आबादी में मैतेई (Meitei) लोगों की आबादी लगभग 53 प्रतिशत है. वे ज्यादातर इंफाल (Imphal) घाटी में रहते हैं. वहीं नगा और कुकी 40 प्रतिशत से कुछ अधिक हैं और पर्वतीय जिलों में रहते हैं. 

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Umesh Solanki

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