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हाल ही में एक शोध में पता चला है कि किसी व्यक्ति के बाल से यह पता चल सकता है कि भविष्य में उसे हार्ट अटैक हो सकता है या नहीं। अनुसंधानकर्ता ने हाल ही में पाया कि मनुष्य के बालों में स्ट्रेस हार्मोन मौजूद होते हैं। जिसकी जांच करने के बाद हार्ट अटैक (सीवीडी) के जोखिम का पता लगाया जा सकता है। डबलिन, आयरलैंड में इस साल के ‘यूरोपियन कांग्रेस ऑन ओबेसिटी’ (ECO) में प्रेजेंट किए गए अध्ययन से पता चला है कि ग्लूकोकार्टिकोल्ड का स्तर-फ्लोट हार्मोन किसी भी व्यक्ति की कतार में मौजूद है। जो एक बार के बाद बढ़ जाता है। जांच करने के बाद पता चला कि इन हार्मोनों का स्तर भविष्य में बढ़ने के कारण हार्ट अटैक का जोखिम भी बढ़ जाता है।
ऐसे बाल वालों को हार्ट अटैक का जोखिम काफी अधिक बढ़ जाता है
इस पूरे रिसर्च का एक निष्कर्ष तैयार करने के लिए आदमी और और की एक टीम बनाई गई। जिसमें 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया गया। इस लोगों के कुल 6,341 बालों के लिए जा रहे हैं। किस कोर्टिसोल और कोर्टिसोन के स्तर की जांच की गई। इसमें सभी वीडियो के बालों का परिक्षण किया गया। इस जांच प्रकिया में यह पता चला कि पूरी तरह से जिन लोगों के बालों में कोर्टिसोन की मात्रा काफी ज्यादा है और काफी दिनों तक यह बढ़ोतरी होती रहती है। जिसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। उन लोगों को हार्ट अटैक का जोखिम दो गुना बढ़ जाता है।
57 साल की उम्र के बाद हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है
जिन लोगों की उम्र 57 साल या उससे भी ज्यादा है। और उनके बालों में काफी अधिक मात्रा में कोर्टिसोन का स्तर बढ़ गया है। उनमें से हार्ट अटैक का खतरा तीन गुना बढ़ जाता है। हालांकि सीवीडी के सबसे अधिक मामले 57 साल और उससे अधिक उम्र वाले लोगों को होता है। उम्मीद किया जा रहा है कि बालों की यह विशेष जांच इस पूरे परिक्षण के लिए काफी अधिक उपयोगी साबित होगी। इस जांच प्रक्रिया के आधार पर डॉक्टर एक हद तक यह पता लगा सकते हैं कि किस व्यक्ति से दिल की बीमारी, हार्ट अटैक के जोखिम में हो सकते हैं। फिर शायद भविष्य में शरीर में तनाव हार्मोन के प्रभाव को कंट्रोल करने के लिए अलग से कुछ उपाय मान लें।
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