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‘भारत में 10 करोड़ से भी ज्यादा दिखने वाले मरीज हैं।’ यह बात किसी को भी परेशान कर सकती है। लेकिन यह सच है। ‘ब्रिटिश मेडिकल जर्नल’ लांसेट में छपी ‘इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च’ (आईसीआईसी) के अनुसार भारत के कुछ राज्यों में दाखिल होने के मामले ऐसे हैं जो काफी देर से स्थिर हैं। ऐसे मामले हैं न जो बढ़ रहे हैं और न घटा ही रहे हैं। वहीं कुछ राज्यों में इसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस रिसर्च में यह बात भी कही गई है कि जिन राज्यों में वायरल के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उन राज्यों में बिना समय गवाएं ऐसे कदम उठाना होगा। जिससे इस बीमारी पर कंट्रोल हो सकता है। 

इस रैंकिंग में राज्यों में वायरलिंग के आंकड़ों को भी बताया गया है। देश की जनसंख्या 15.3 प्रतिशत या लगभग 13.6 करोड़ प्रिक्स-डायबिटिक है। वहीं देश की कुल जनसंख्या में 11.4 प्रतिशत आबादी का डायबिटिक है। वे अभी भी नहीं देख रहे हैं। 35 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या हाइपरटेंशन और हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित हैं। भारत में भी मोटापा एक बीमारी का रूप ले रहा है। शोध में यह बात सामने आई है कि 28.6 प्रतिशत जनसंख्या मोटापे के शिकार हैं। 

क्या होता है प्री-डायबिटिक

दो तरह के मधुमेह के मरीज रहे हैं। टाइप 1 और टाइप-2 इस तरह के क्लाइंट जेनेटिक होते हैं। इसके रोगी अधिक युवा और बच्चे होते हैं। लेकिन इसके मामले काफी कम होते हैं। टाइप-2 खराब लाइफस्टाइल से बना है। और पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। लेकिन प्रिक्स टाइप-1 एक गंभीर स्थिति है। इसमें शुगर लेवल काफी अधिक बढ़ जाता है। लेकिन इतना ज्यादा नहीं कि टाइप इट-2 में रख दिया जाए। टाइप-1 लाइनअप में लाइनअप की जरूरत है। /p>

देश के बेहद खुबसूरत राज्यों में से एक गोवा उतनी ही खुशनुमा जगह है, लेकिन इस शोध में पाया गया कि वह सबसे ज्यादा यात्रियों के मरीज हैं। गोवा की कुल जनसंख्या से लगभग 26.4 प्रतिशत जनसंख्या मधुमेह से ग्रस्त है। इसके बाद पुच्चेरी. यहां कुल जनसंख्या में से लगभग 26.3 प्रतिशत संक्रमित रोगी हैं। केरल में- 25.5 सेंट। चंडीगढ़ में 20.4 प्रतिशत स्लिमर हो चुके हैं। देश की राजधानी दिल्ली में 17.8 प्रतिशत मरीज के मरीज हैं। यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में आने वाले कुछ सालों में लिनेन विस्टफोट हो सकते हैं। शिकार कर रहे हैं। वह 5 साल में आने वाले गर्मियों के शिकार हो जाएंगे। भारत की 70 प्रतिशत जनसंख्या गांव में रहती है इसलिए छोटी होती है यदि 0.5 से 1 प्रतिशत भी बढ़ जाती है तो एक बड़ी संख्या का शिकार हो जाएगा।  इस पूरे रिसर्च में सबसे हैरानी की बात यह है कि भारत के सभी राज्यों की तुलना में गुजरात में वायरल, हाइपर स्ट्रेस, पेट की बीमारी, प्रिक्स-लीन, जेनरल ऑब्सिटी की संख्या कम है। गुजरात में घायल के कुल जनसंख्या के 8 फिसदी हैं। वहीं प्री- लिमनर का प्रतिशत 10.5 है। 

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Umesh Solanki

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