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रावण की लंका: रामायण के अनुसार रावण की लंका बहुत सुंदर और भव्य थी। इसे ‘स्वर्ण नगरी’ के नाम से जाना जाता था। रावण को भी लंकापति कहा जाता है। ज्यादातर लोग सोने की लंका को रावण की खीर मानते हैं लेकिन पुराणों के अनुसार ये सच नहीं है। लंका रावण किसी और के लिए नहीं बनाया गया था, लेकिन ये रावण कैसे मिला?, असल में सोने की लंका बनाई गई थी? आइए जानते हैं.

बनाया था सोने का लंका?

  • शिव पुराण के अनुसार लंका को रावण नहीं बल्कि भगवान शिव ने बसाया था, भगवान शिव ने पार्वती के लिए संपूर्ण लंका को स्वर्णजड़ित किया था।
  • लंका का निर्माण भगवान शिव के दर्शन के लिए देवताओं के शिल्पकार, वास्तुशिल्पी और कुबेर ने मिलकर समुद्र के मध्य त्रिकुटाचल पर्वत पर किया था।
  • हिंदू ग्रंथ के अनुसार एक बार माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर भगवान शिव और माता पार्वती जी से मिलने आये थे। वहां देवी लक्ष्मी ठंड से ठिठुरने राजभवन हैं। बाहर निकलने के लिए उन्हें पूरे पर्वत पर कोई जगह नहीं मिली।
  • माता लक्ष्मी ने पार्वती जी से कहा था कि आप खुद एक राजकुमारी हैं और कैलाश पर्वत पर इस तरह का जीवन यापन कर सकते हैं। इसके बाद माता पार्वती जी ने शिव जी से एक ऐसा महल बनवाया कि विनती की जो तीरे लोक में कहीं न हो।
  • शिव जी ने देवता विष्णु और देव कुबेर जी को समुद्र तट के बीच सोने का महल पहनाया था।

कैसा था सोने का लंका?

  • शिव ने माता पार्वती के लिए त्रिकुटाचल पर्वत के बीच महल तोड़ा था, जिसे सोने की लंका कहा जाता है। लंका का निर्माण तीन पर्वत शृंखलाओ से मिलकर किया गया था।
  • पहले पर्वत का नाम सुबेल. सुबेल वह स्थान है जहां पर भगवान राम और रावण के बीच भीषण युद्ध हुआ था।
  • पर्वत के दूसरे भाग को नील ने कहा है, यही स्थान लंका का महल था।
  • वहीं तीसरा और सबसे सुंदर भाग सुंदर पर्वत जहां पर अशोक वाटिका थी। रावण को देवी सीता का आदर्श माना जाता था।

रावण को ऐसे मिला लंका

कथा के अनुसार एक बार रावण लंका के ऊपर से गुजर रहा था तो उसे लंका देखकर लालच आ गया। लंका को प्राप्त करने के लिए उसने ब्राह्मण का रूप लिया और भगवान शिव के पास पहुंच गया। भिक्षा के अनुसार उसने सोने की लंका की मांग रखी। भगवान शिव ने रावण को पहचान लिया लेकिन फिर भी भगवान शिव ने उसे निराश नहीं किया और उसे सोने का लंका दान दे दिया। ऐसा भी माना जाता है कि रावण ने धनपति कुबेर से सोने की लंका बलसंपन्न छीन ली थी।

यह श्राप के अवशेष बनी हुई सोने की लंका

लंका में रावण के दान की जब माता पार्वती हुई तो वे बहुत क्रोधित हुए और क्रोध में ही उन्होंने कहा कि सोने के लंका में एक दिन जलकर राख हो जाएगा। यह भी हुआ. हनुमान जी ने सोने की लंका को भस्म कर दिया।

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Umesh Solanki

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